मंगलवार, 21 नवंबर 2017

उफ ये बेचैनी

ये बेचैनी हमे
जीने नही देगी
और बेचैनी चली गई
तो शायद हम ही ना जी पाये


तेरे इश्क मे सुकून कभी मिला ही नही
बे-आरामी मे रहने की ये आदत
हमने किसी शौक से नही डाली
थोडी आदत बदलता भी हूं
तो फिर तेरा ख्याल आ जाता है

बेचैन करने के लिये
तुम्हारी वो इक नज़र ही काफी थी
ये बाकी के इन्तज़ाम तो हमे
होश मे लाने के लिये थे।

सोचा था तुमको देखेगे तो चैन आ जायेगा
पर बेचैनी तो और भी बढा दी तुमने
कि जंहा इश्क होता है
सुकून वंहा रहता ही नही।

क्या अजीब सी बात है
इस बेचैनी का इलाज भी है
इक और बेचैनी
सुकून तो शायद किस्मत में
उसने लिखा ही नही।

कितने नादान हो तुम
इक बेचैनी से बचने के लिये
दूसरी बेचैनी के
मरीज़ बन बैठे।

इतनी बेचैनी तो पहले नही हुई कभी
या शायद कोई इस इरादे से हमसे
पहले कभी
यूं ना मिला होगा।


उस नज़र की तलाश

उस नज़र की तलाश
उस नज़र पे जाकर खत्म होगी
कि जंहा से ये नज़र उठाना
हमें मंजूर ना होगा
ना मिली वो नज़र
तो नज़र दर नज़र
ये सिलसिले तमाम
उमर भर यूं ही चला करेगे।

तेरी आदत ने कितना बदल दिया है

अब तो याद ही नही है
कि कैसे जीते थे हम
कुछ आदते ये ही भुला देती है
कि उनके बिना लगता कैसा था।

जरूरी है वो झूठा सा बहाना

बेवजह ही सही
अपनी वो नज़र दे दे
कि जीने के लिये
कुछ बहाने
झूठे ही सही
पर जरूरी होते है।

तेरे निशाने पे होने का गम

पहले से पता होता तो
कुछ इंतज़ाम कर भी लेते
अब तीर निकाल भी दें
तो क्या ?
ये गम क्या कम है
कि तेरे निशाने पे
कभी हम भी थे

तेरी मुहब्बत की फिक्र

तेरी आँखो मे ऐसे डूबे है
कि अब तक उबरे ही नही
कुछ बीमारियां उमर भर की होती है
फिक्र तो उस दिन की है
जिस दिन ये जां जायेगी
ये बीमारियां क्या मरने के बाद
साथ नही जाती?

सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

तुम्हारी साजिश

वो तेरी खुमारी का ही था असर जो
ताउम्र रहा
वरना मयखानो से तो कई बार गुज़रा हूं मै
पहली बार इतने भीतर तक उतरी है
वरना तस्वीरे तो कई और भी देखी हमने

वो तेरे चेहरे का ही नूर था जो हमे रोशन कर गया
वरना चांद रातें तो कई बार देखी हमने
इतने भीतर तक उतरने की साजिश थी तुम्हारी
वरना सिर्फ मुलाकात के बहाने
कोई इस कदर नहीं मिलता


उफ ये बेचैनी

ये बेचैनी हमे जीने नही देगी और बेचैनी चली गई तो शायद हम ही ना जी पाये तेरे इश्क मे सुकून कभी मिला ही नही बे-आरामी मे रहने की ये आदत ...